Sunday, January 30, 2011

मत भूलो ·की पत्रकारिता एक मिशन है।


मत भूलो ·की पत्रकारिता एक मिशन है। हमारे भारतवर्ष में ·किसी ने फौजी बनक र देश की रक्षा रने ·का संक ल्प लिया है, तो ·किसी ने डाक्टर बनक र मरीजों ·की इलाज क रने ·का किसी ने वकील बनकर ·किसी निर्दोष ·की रक्षा क रने ·का संकल्प लिया है तो किसी ने पत्रकार बनक र समाज में फैल रही बुराईयों को अपनी सशक्त लेखनी से दूर क रने ·का एक व्यक्ति के अंदर देश की सेवा करने ·का जुनून होता है, तो वह फौजी बनता है। कोई जबरदस्ती ·किसी को फौजी बनने पर मजबूर नहीं क र सक ता , न ही डाक्टर ·को , न ही वकील·को और न ही पत्रकार बनने के लिये ·किसी भी क्षेत्र में ·दम रखने से पहले जुनून ·का होना आवश्यक है। जरा सोचिये ·ि अगर हम अपने ·र्तब्य ·ा ठी· ढग़ से पालन न ·रें तो क्या होगा। अगर देश ·ी सीमा पर खड़ा फौजी अपना ·र्तब्य भूल जाये या दुश्मनों ·े हाथ बि· जाये तो देश ·ी ·रोड़ों अरबों ·ी आबादी ·ो मरने से ·ोई नही बचा स·ता। उसी प्र·ार न्यायपालि·ा भ्रष्ट हो जाये तो जनता ·ो ·ौन इंसाफ दिलायेगा । यदि डाक्टर अपने ·र्तब्य ·ा पालन न ·रे तो मरीजों ·ो ·ौन बचायेगा। इसी प्र·ार अगर पत्र·ार अपने ·र्तब्य से विमुख हो जाये तो समाज में फैल रही बुराईयों और भ्रष्टाचार ·ो ·ौन दूर भगायेगा। आज ·ा मीडिया ·ाफी सशक्त है,यह जुमला ज्यादातर जनता ·े मुख से सुनने ·ो मिलता है। जनता चाहे ·िसी पर विश्वास ·रे या न ·रे पर मीडिया पर उस·ा विश्वास ·भी नही डगमगाता। जनता जब पुलिस से,शासन प्रशासन से त्रस्त हो जाती है तो अन्त में उसे मीडिया से ही आशा ·ी उम्मीद होती है। अब अगर मीडिया ही जनता से विमुख हो जाये तो जनता ·िस·े सहारे रहेगी। पिछले ·ुछ वर्षो से प्राय: देखने में आ रहा है ·ि सर·ार मीडिया पर हावी हो रही है। ·िसी भी सर·ारी ·ार्य·्रमों में नेता लोग पत्र·ारों ·ो सम्बोधित ·रते हुये ·हते है ·ि पत्र·ारिता ए· मिशन है। पत्र·ारिता निष्पक्ष होनी चाहिये । पत्र·ारों ·ा फर्ज है ·ि निष्पक्ष पत्र·ारिता ·रते हुये समाज ·ी बुराईयों ·ो दूर ·रें। मगर जब भी ·ोई पत्र·ार सर·ार ·ी गलत नीतियों ·े खिलाफ आवाज उठाता है, या तो उस·ा प्र·ाशन बंद ·रा दिया जाता है। या फिर उस·ो जेल ·ी हवा खानी पड़ती है। इससे साफ जाहिर है ·ि नेताओं ·ी ·थनी और ·रनी में ·ितना फर्· है। ऐसे ही ·ुछ ·ारणों से पत्र·ारों ·ी ·लम ·मजोर पड़ती जा रही है। जब भारत अंग्रेजों ·ा गुलाम था तो उस वक्त ऐसे ऐसे पत्र·ार हुआ ·रते थे जिन·ी ·लमें आग उगला ·रती थी पर आज ·े मीडिया ·ो क्या हो गया है? समाज पत्र·ारों ·ो उन·ी सशक्त लेखनी ·े ·ारण ही सम्मान देता है। और इस सम्मान ·ो बर·रार रखने ·े लिये हमें अपनी ·लम से अन्याय ·े खिलाफ युद्व लड़·र अपने ·र्तब्य ·ा पालन ·रना होगा। जयहिन्द